रायपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश के बाद आज CBI की टीम ने समाज कल्याण विभाग के माना स्थित दफ्तर पहुंची। इस दौरान टीम ने विभाग के उप संचालक से मुलाकात की और घोटाले से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त कर अपने साथ ले गई। यह कार्रवाई हाईकोर्ट द्वारा राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान (SRC) से जुड़े करीब 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश के बाद की गई। यह NGO आईएएस अधिकारियों द्वारा बनाया गया था।
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बता दें कि 24 सितंबर को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डबल बेंच (जस्टिस पीपी साहू और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल) ने इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए कहा था कि यह मामला स्थानीय एजेंसियों या पुलिस जांच के लायक नहीं है। कोर्ट ने इसे संगठित और सुनियोजित अपराध मानते हुए सीबीआई को 15 दिनों के भीतर सभी दस्तावेज जब्त कर जांच शुरू करने का निर्देश दिया था।
इन अधिकारियों पर लगे आरोप
इस घोटाले में 6 IAS अधिकारियों विवेक ढांड (पूर्व मुख्य सचिव), आलोक शुक्ला, एमके राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल और पीपी सोती के अलावा कई राज्य सेवा अधिकारियों पर भी आरोप लगे हैं। इनके नाम में सतीश पांडेय, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा शामिल हैं।
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जानिए क्या है पूरा मामला
यह घोटाला एक जनहित याचिका (PIL) 2017 के माध्यम से सामने आया, जिसे रायपुर के कुशालपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने दायर किया था। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान नाम की संस्था केवल कागजों में ही मौजूद थी और इसके माध्यम से 2004 से 2018 तक राज्य को लगभग 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।
याचिका में यह भी बताया गया कि खुद याचिकाकर्ता को एक शासकीय अस्पताल में कर्मचारी बताया गया, लेकिन आरटीआई के माध्यम से जानकारी लेने पर पता चला कि रायपुर स्थित यह कथित अस्पताल एक एनजीओ द्वारा संचालित किया जा रहा था।
Alok Kumar Srivastava serves as the Chief Editor of Rashtra Darshan, a Hindi-language news outlet. He is credited as the author of articles covering political affairs, social issues, and regional developments.

