Fight in Government School: जहां बच्चों को अनुशासन और नैतिकता सिखानी चाहिए थी, वहीं धारासींव के सरकारी हाई स्कूल में शिक्षक एक नया पाठ पढ़ा गए- लाइव, एक्शन, ड्रामा. कक्षा में बच्चे बैठे थे. सामने मनोज सर पढ़ा रहे थे. तभी दूसरे शिक्षक महोदय बिना बुलाए क्लासरूम में दाखिल हुए. कुछ सेकेंड भी नहीं लगे कि लाइव एक्शन चालू हो गया. झगड़ा, गाली, और हाथापाई, बैकग्राउंड में बच्चे, सामने कैमरा. अचानक बात इतनी बढ़ी कि किताबों की खड़खड़ाहट गाली-गलौज में बदल गई और फिर हाथ उठ गए. ऐसा लगा जैसे दोनों शिक्षक भूल चुके हों कि वो क्लासरूम में हैं. उनके मन में मानो जैसे ये फाइट का रिंग है और बच्चे दर्शक. दोनों शिक्षकों ने एक दूसरे पर हमला कर दिया और बच्चे इतने सहम गए कि कुर्सियों-डेस्क के बीच शरण ढूंढ़ने लगे और जिसे शरण नहीं मिला वो क्लास रूम से बाहर भाग गया.
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CCTV में रिकॉर्ड शिक्षकों की लाइव फाइट !
स्कूल में लगे सीसीटीवी कैमरों ने इस पूरी घटना को रिकॉर्ड कर लिया. यह फुटेज सिर्फ एक वीडियो नहीं है, बल्कि उस गिरती हुई शिक्षा व्यवस्था का एक जीता-जागता सबूत है, जहां अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले किसी गली के गुंडों की तरह लड़ते दिखाई दिए. सूत्रों का कहना है कि विनीत दुबे अक्सर स्कूल समय पर नहीं पहुंचते और पहले भी विवादों में रहे हैं. यानी ये लड़ाई अचानक नहीं, बल्कि लंबे समय से पक रही खिचड़ी का एक तड़का भर थी. फर्क बस इतना था कि इस बार बच्चों के सामने वो ढोंग पूरी तरह खुल गया, और सीसीटीवी में पूरा “महाभारत” रिकॉर्ड भी हो गया. छात्रों का कहना है कि उन्हें समझ ही नहीं आया कि ये अचानक क्या हो गया.
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इन शिक्षकों को शिक्षा कौन देगा?
अब सवाल उठना लाजमी है- जब शिक्षक ही हाथापाई का पाठ पढ़ाएंगे तो बच्चे क्या सीखेंगे? अगर क्लासरूम में किताबों की जगह मुक्कों और गालियों का प्रदर्शन होगा तो शिक्षा का चेहरा आखिर कैसा होगा? जिला शिक्षा अधिकारी जे.आर. डहरिया ने पूरे मामले पर संज्ञान लिया है और जांच के आदेश दिए हैं. उनका कहना है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी. तो ऐसे में सवाल तो इन अधिकारी महोदय पर भी उठता है. क्लासरुम को ‘अखाड़ा’ बनाए जाने का सबूत सामने है तो फौरी तौर पर कोई एक्शन लेकर संदेश क्यों नहीं दिया गया? जांच पूरी होने के बाद जो होगा वो होगा अभी छात्रों को हम क्या संदेश दे रहे हैं? आखिर स्कूलों में बच्चों को अनुशासन, सहयोग और आदर सिखाया जाता है. लेकिन धारासींव का ये मामला बताता है कि शिक्षक खुद उस पाठ को भूल चुके हैं. क्लासरूम अगर “रिंग” बन जाएगा तो न सिर्फ बच्चों का भरोसा टूटेगा बल्कि शिक्षा की गरिमा भी बर्बाद होगी.
Alok Kumar Srivastava serves as the Chief Editor of Rashtra Darshan, a Hindi-language news outlet. He is credited as the author of articles covering political affairs, social issues, and regional developments.

